भास्कर न्यूज़ एजेंसी(अयोध्या)
सिद्ध पीठ हनुमत निवास में मां आनंदमयी परिवार के भक्तों द्वारा 3 दिवसीय सस्वर रामचरित मानस का संगीतमय पाठ श्रीराम के राजगद्दी महोत्सव के साथ सम्पन्न हुआ।मालती भार्गव रायबरेली और प्रकाश नारायण पाठक आगरा की ओर से 50 साल पहले मानस परिवार का गठन कर आरंभ मानस का सस्वर पाठ अयोध्या को मानस पाठ के रस का बोध कराने वाले है। यह रस जिस किसी ने पान किया वह मानस के प्रति इस परिवार के समर्पण और श्रद्धा को लेकर वाह-वाह कर के उठ रहे है।
रामचरितमानस के संगीतमय पारायण के समापन पर गोष्ठी का आयोजन किया गया है। मुरादाबाद मानस परिवार के सदस्यों की ओर से प्रस्तुत रामचरितमानस के तीन दिवसीय संगीतमय पारायण के समापन अवसर पर कार्यक्रम के संरक्षक और सुप्रसिद्ध पीठ हनुतनिवास के महंत मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहा कि किसी अन्य को पुकारना हो, तो सामान्य आवाज से काम चल जाएगा, किंतु परमात्मा की पुकार का सूत्र दूसरा है। उसे पूरे प्राण से पुकारोगे, तो वह सुनेगा। अन्यथा चूक जाना होगा।
इस अवसर पर उन्होंने सुर-लय-ताल से सज्जित रामकथा के संगीतमय पारायण की प्रेरक प्रख्यात आध्यात्मिक विभूति मां आनंदमयी का भी स्मरण किया गया। जिनका कहना था कि रामकथा का इस तरह गायन होना चाहिए कि कि वह चित्त में उतर जाए। प्राणों में चेतना और भाव के नए अंकुर फूट जाएंगा। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर ने कहा कि रामचरितमानस वाल्मीकि रामायण की और वाल्मीकि रामायण मानस की कुंजी बनी है। यह दोनों ग्रंथों के रचनाकारों में भी निहित होती है।