कानपुर – पीड़ित युवक के भाई ने कंहा मेरे भाई के पैर नहीं कटे, उन सपनों के पर कट गए, जो मेरे भाई के साथ पूरे परिवार ने देखे थे। वह पढ़ने में बहुत तेज है। हर परीक्षा दे रहा है, ताकि उसे कहीं सरकारी नौकरी मिल जाए। हम सभी को उम्मीद थी कि एक न एक दिन वह कामयाब होगा और घर की आर्थिक स्थिति सुधारेगा।
लेकिन, अब भाई के दोनों पैरों के कट जाने से ये उम्मीद भी टूट गई। ये वाला पेपर देने के लिए वह अपनी बहन की शादी में भी शामिल नहीं हुआ। एक दिन पहले ही तो बहन विदा हुई थी। मैंने मां-पिता को नहीं बताया कि भाई के दोनों पैर कट गए हैं। किस मुंह से बताऊं कि उनकी उम्मीदें और सपने अब अपंग हो गए।’
यह कहते-कहते कुलदीप फफक कर रो पड़े। कुलदीप अमरदीप यादव उर्फ संजीव के बड़े भाई हैं। वह प्रयागराज में ऑटो चलाते हैं। कानपुर के उसी हैलट अस्पताल में हैं, जहां उनका भाई अमरदीप भर्ती हैं। उन्होंने कहा, इस हादसे ने भाई को तोड़ कर रख दिया है। परिवार की उम्मीदें भी खत्म हो गईं। वह रेलवे के असिस्टेंट लोको पायलट की परीक्षा देने आया था। क्या पता था कि उसी रेलवे की ट्रेन से उसके दोनों पैर कट जाएंगे।