Home उत्तर प्रदेश झोलाछापों के सामने नतमस्तक होकर रह गया जनपद का स्वास्थ्य विभाग

झोलाछापों के सामने नतमस्तक होकर रह गया जनपद का स्वास्थ्य विभाग

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भास्कर ब्यूरो
रिपोर्ट- सी पी दिक्षित
फर्रुखाबाद। प्रदेश सरकार जहां एक तरफ गरीबों मजलूमों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर बनी हुई है कि हर गरीब मजलूम को ग्रामीण अंचलों में समुचित इलाज मुहैया कराया जाए। वहीं नोटों की खनक के सामने खुलेआम सरकारी मुलाजिमों की सरपरस्ती में जगह जगह परचून की दुकानों की तरह झोला छाप डॉक्टर गरीबों मजलूमों की जहां जान से खिलवाड़ करते साफ देखे जा सकते हैं वहीं इन गरीबों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई पर भी जमकर हांथ साफ कर रहे हैं। वैसे तो ये झोलाछापों का मकड़जाल पूरे जनपद फर्रुखाबाद में अपनी खासी जड़ें जमा चुका है वहीं विकासखंड राजेपुर में कुछ ज्यादा ही मकड़जाल फैला हुआ है जिसमें स्वास्थ्य विभाग अपनी पूरी ईमानदारी से इनके ऊपर अपना बर्द हस्त बनाए हुए हैं जिससे आए दिन कोई न कोई अपनी जान जोखिम डालकर इनसे इलाज करा कर अपनी जान से भी हांथ धो रहा है। दूसरी तरफ आपको बताते चलें कि जब कोई इन झोलाछाप डॉक्टरों की गलती से कोई हादसा होता है और अखबारों की हेड लाइन बनता है तो एकाएक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की गहरी नींद खुलती है। नींद से जागा स्वास्थ्य विभाग पूरे जनपद में ताबड़तोड़ छापामार अभियान चला कर कुछ एक झोलाछापों के अस्पताल में तालाबंदी कर अपनी सील मोहर लगा कर उन्हें नोटिस थमाकर इतिश्री कर उन्हें बुलाकर पांचालघाट एक आश्रम पर चढ़ावा चढ़वाकर फिर से अभयदान दे दिया जाता है। इस तरह की स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली से अंत्योदय परिवारों की जान जोखिम में डालने का ये गोरखधंधा निरंतर चल रहा है जिसपर लगाम लगाने में प्रशासनिक अमला पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है जिससे प्रदेश सरकार की भी साख पर बट्टा लग रहा है। राजेपुर विकास खंड में तो पूरी तरह से झोलाछाप अपनी मनमानी पर उतारू हैं यहां कुछ झोलाछाप तो ऐसे मिल जाएंगे जो किसी और डॉक्टर के नाम का बोर्ड लगाकर जमकर गरीबों मजलूमों का पैसा लूट रहे हैं जबकि जिस डॉक्टर के नाम का बोर्ड लगाकर झोलाछाप मलाई काट रहे हैं उन डॉक्टरों को आज तक किसी ने नहीं देखा है वहीं कुछ ऐसे डॉक्टर भी हैं जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का इलाज करते हैं जिन्होंने आयुर्वेदिक दवा अंग्रेजी दवा विक्री का बोर्ड लगाकर झोलाछाप बने हुए हैं वहीं ज्यादातर ऐसे झोलाछाप डॉक्टर हैं जो सरकारी मुलाजिमों की आड में अपना अस्पताल चलाते हैं अकेले विकास खंड राजेपुर में ही लगभग दो सैकड़ा के आसपास झोलाछाप इस गोरखधंधे में लिप्त हैं। स्वास्थ्य विभाग इनकी तरफ इस लिए नजरें इनायत किए रहता है कि ये झोलाछाप उन्हें ईमानदारी से हर महीने उनके ऑफिसों में जाकर चढ़ावा चढ़ाना नहीं भूलते हैं। अब देखना यह है कि क्या इन मौत के सौदागरों पर कोई लगाम लगाने को धरातल पर उतरता है ये इसी तरह से गरीबों मजलूमों इलाज के नाम पर लूटा जाता रहेगा ये भविष्य के गर्भ में है।

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