Home उत्तर प्रदेश शमशान वाली भूमि विवाद में कराया गया ज्ञात अज्ञात महिला पुरुषों सहित 400 लोगों पर मुकदमा दर्ज

शमशान वाली भूमि विवाद में कराया गया ज्ञात अज्ञात महिला पुरुषों सहित 400 लोगों पर मुकदमा दर्ज

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शमशान वाली भूमि विवाद में कराया गया ज्ञात अज्ञात महिला पुरुषों सहित 400 लोगों पर मुकदमा दर्ज
-मामले के एक मानवीय पक्ष को बताते हुए ग्रामीणों का कहना है कि वे गरीब जो कई किलोमीटर तक अपने बच्चों की शव यात्रा ले जाने में सक्षम नहीं हैं – आखिर वह कहां दफनाएंगे अपने मृत कलेजे के टुकड़ों के शव
भास्कर न्यूज एजेंसी : –
रिपोर्टर – जयपालसिंह यादव
कायमगंज / फर्रुखाबाद
कोतवाली ब तहसील क्षेत्र कायमगंज के अंतर्गत अचरा मार्ग पर स्थित सत्तार नगर गांव के पास 29 डिसमिल वाले मरघट भूमि के विवादित जमीन के टुकड़े के प्रकरण में ग्रामीणों के भारी विरोध पर जब मौके से कब्जा लेने वाले संतोष दिवाकर अपने काम पर लगे राजमिस्त्री तथा मजदूरों के साथ घबराकर भाग आए। सूचना पर उसी समय पुलिस बल भी पहुंचा था । जिसे भी ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा ।इसके बाद इस मामले में उस समय नया मोड़ आ गया ।जब संभवत ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए न्यायालय अवमानना की बात कहते हुए श्री दिवाकर द्वारा कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया गया । विभिन्न धाराओं में दर्ज किए गए मुकदमें के अंतर्गत एससी-एसटी तथा बलवा जैसी धाराएं भी शामिल की गई हैं। दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायालय अमीन प्रशासनिक अधिकारी तथा पुलिस बल की मौजूदगी में उसे यानी की संतोष दिवाकर को 4 मार्च वाले दिन इस भूखंड पर कब्जा दिला दिया गया था । किंतु जब वहां दिनांक 7 मार्च को इसी भूखंड पर पुख्ता निर्माण के लिए निर्माण कार्य कराने पहुंचा । तो आरोप है कि इनायत नगर के निवासी विजय सिंह, रामू , वारिस खां, ओमपाल , सुधीर , महिमा सिंह, हुकुम सिंह, सत्येंद्र आदि लोग लगभग 300 से 400 अज्ञात व्यक्तियों के साथ जिनमें लगभग 50 से 60 महिलाएं शामिल थीं । मौके पर आ गए । दिवाकर ने कहा है कि यह लोग उसे जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल कर गालियां देते हुए हाथों में लाठी डंडे लिए हुए थे । उसके ऊपर प्रहार का प्रयास कर हमलावर हो गए । कुछ लोगों के नाम संभवत बतौर गवाह रिपोर्ट में ही स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इन लोगों ने किसी तरह बचाया तो वह लेबर मिस्त्री सहित वहां से चला आया । दर्ज कराई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विजय शाक्य ब सुधीर निवासी इनायत नगर ने उससे समझौता करने की एवज में 10 लाख रुपए की मांग की थी । किंतु मेरे द्वारा मना कर दिया गया -जैसे अनेक आरोप लगाते हुए अपने को संतोष दिवाकर ने उस भूखंड का संक्रमणीय भू – स्वामी बताया । साथ ही न्यायालय अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन से वर्ष 2023 में दायर बाद के निष्पादन का भी हवाला देकर इस भूखंड का अपने को स्वामी बताया है ।
इनसैट : –
क्या यह भूखंड ग्राम समाज की संपत्ति था?
कायमगंज,
विवादित शमशान भूमि स्थित ग्राम सत्तार नगर बाला भूखंड क्या पहले ग्राम समाज भूमि संपत्ति के रूप में दर्ज था । ग्रामीणों का कहना है कि इस भू – टुकड़े के सहित यहां पर एक जुमला गाटा संख्या नंबर है । जो ग्राम समाज की भूमि थी । आज से लगभग साढे तीन या 4 दशक पहले पितौरा निवासी विद्या देवी नाम की किसी महिला के नाम , इसमें से 29 डिसमिल रकवा का पट्टा दिया गया था । कुछ नियमों की पूर्ति के बाद महिला द्वारा जिसका परिवार अब पिछले लंबे समय से ग्राम पितौरा छोड़कर दिल्ली या कहीं अन्य जगह जाकर रहने लगा है । उन्होंने यह जमीन राधेश्याम के नाम बैनामा कर दी थी । वही भूखंड संतोष दिवाकर निवासी बरझाला ने राधेश्याम से क्रय किया था । यह जगह काफी समय से विवादित रही । इसलिए इस पर कोई कब्जा नहीं कर पा रहा था । इस विवादित भूखंड को संतोष दिवाकर ने राधेश्याम से खरीद कर मामला निस्तारण के लिए न्यायालय में वाद दायर करके निर्णय प्राप्त कर लिया । इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि जो भूखंड पुलिस और प्रशासन द्वारा माप जोख कराकर इन्हें कब्जे में दिलाया जा रहा है। जमीन का वह भाग आज से लगभग कई सैकड़ा साल पहले से ही शमशान के रूप में उपयोग किया जा रहा है । इन्होंने (दिवाकर ) ने जो भूखंड को खरीदा है । वह इस स्थान से हटकर पीछे की ओर है । किंतु उस जगह पर इससे पहले जिन लोगों ने यहां पर जमीन खरीदी वह सब काबिज हैं । इसलिए इसी भूखंड को ग्रामीणों की परेशानी को नजरअंदाज करके हथियाने का प्रयास किया जा रहा है l
इनसैट : –
ग्रामीणों की पीड़ा तथा मानवीय पक्ष
कायमगंज : –
गांव सत्तारनगर स्थित 29 डेसिमल रकवे वाले विवादित भूखंड को ग्रामीण विगत लगभग डेढ़ सौ से 200 साल पहले से शमशान के रूप में प्रयोग करते चले आने की बात कहते हुए अपनी पीड़ा तथा मानवीय पक्ष के आधार पर कह रहे हैं कि इस भूखंड के अलावा शिशुओं को दफनाने के लिए कोई दूसरी उपयुक्त जगह नहीं है । उनका कहना है कि गांव तथा पड़ोस के ग्रामों में ऐसे बहुत से गरीब लोग रह रहे हैं । जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है । ईश्वर ना करें, किंतु यदि कहीं जैसा की कई बार दुखद नजारा सामने भी आया – ऐसे लोगों का जिनको जब शव दफनाने की जरूरत पड़ती है । तो अपनी आर्थिक स्थिति के कारण कई किलोमीटर दूर स्थित गंगा तट तक शव यात्रा ले जाने में सक्षम नहीं होते हैं । तो फिर आखिर ऐसे में यह गरीब अपने कलेजे के टुकड़े मृत शिशु के शव को दफनाने के लिए कहां ले जाएंगे? जैसे मानवी पक्ष को भी नजरअंदाज करते हुए ग्रामीणों का आरोप है कि किसी कारणवश उनके इस शमशान भूमि वाले स्थान पर अनावश्यक रूप से जवरिया कब्जा दिलाया जा रहा है -जो किसी भी तरह से उचित नहीं है । उनका कहना है कि ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि उनकी शमशान भूमि को सुरक्षित बनाए रखने के लिए कोई सही तथा कारगर तरीका अपना कर इस मानवीय पक्ष की ओर मानवता के नाते ही ध्यान अवश्य दें l

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