पचास नामांकन से कम बाले स्कूल बंद करने के निर्णय को औचित्यहीन बता उ० प्र० प्रा०शि० संघ ने किया विरोध प्रदर्शन फैसला
– शिक्षक संघ का कहना है कि सरकार खुद ही अनिर्वाय शिक्षा अधिनियम की धज्जियां उड़ाने पर दिखाई दे रही आमादा
– शिक्षक संघ के प्रदेश व्यापी विरोध के निर्णय से सरकार ने शायद फिलहाल इस निर्णय को टालने की बात कही है
भास्कर न्यूज : –
रिपोर्टर जयपाल सिंह यादव
फर्रुखाबाद -4 नवम्बर024
लगातार यह चर्चा सुनने में आ रही है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पचास से कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने निर्णय लिया है । जिसे उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने औचित्यहीन बताते हुए प्रदेश स्तरीय विरोध करने का निर्णय लिया। संघ के फर्रुखाबाद जिला मंत्री राजकिशोर शुक्ल ने बताया कि गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए पिछली सरकारों ने हर एक किलोमीटर पर प्राथमिक विद्यालय और हर तीन किलोमीटर पर जूनियर हाईस्कूल संचालित किए थे।इन स्कूलों की समस्या समाधान करने के बजाय सरकार उन्हें बंद करने पर आमादा है । जिससे शासन खुद ही अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम की धज्जियां उड़ाता नजर आ रहा है। गौरतलब है कि जब गांव में ही स्थित स्कूल में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए पूरे वर्ष जोरदार कोशिश की जा रही है – फिर दूरस्थ स्कूलों में बच्चे पढ़ने जायेंगे,इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस स्थिति में सम्पूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को भी भला कैसे पूरा किया जा सकता है । फिलहाल खबर मिली है कि उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश व्यापी विरोध के चलते सरकार बैकफुट पर है। अभी – अभी प्राप्त समाचार के मुताबिक महानिदेशक कंचन वर्मा ने पचास से कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने का निर्णय वापस ले लिया है।
पचास नामांकन से कम बाले स्कूल बंद करने के निर्णय को औचित्यहीन बता उ० प्र० प्रा०शि० संघ ने किया विरोध प्रदर्शन फैसला
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