लखनऊ – शाम 7 बजे बारात आनी थी। हम इंतजार कर रहे थे। 5 बजे समधी का फोन आया। उन्होंने कहा -सुबह 11 बजे बेटा टेलर की दुकान पर कपड़ा लेने गया था। अभी तक नहीं लौटा। हम बारात लेकर नहीं आएंगे। मेहंदी लगाकर बैठी बेटी बार-बार यही पूछ रही थी कि आखिर बारात क्यों नहीं आई। मेरी इज्जत मिट्टी में मिल गई।
यह कहते हुए रिटायर कर्मचारी चुन्नीलाल शर्मा फफक पड़े। मैरिज गार्डन में दिखाते हुए बोले-देखो, मंडप में अंधेरा है। कुर्सियां खाली हैं। मेज पर रखा खाना ठंडा हो चुका है। परिवार के लोग बेसुध बैठे हैं। बेटी के आंसू नहीं रुक रहे। वह रोते-रोते तीन बार बेहोश हो गई।