राजस्थान की अलवर सीट पर मोदी लहर और राम मंदिर का प्रभाव देखने को मिल रहा है। यहां लड़ाई अनुभवी वर्सेस स्थानीय के बीच है। कांग्रेस प्रत्याशी स्थानीय मुद्दों के सहारे हैं। यादव बाहुल्य सीट अलवर में कांग्रेस-बीजेपी ने यादव चेहरों पर दांव खेलकर सियासी पारा बढ़ा दिया है। एक तरफ बीजेपी से मोदी कैबिनेट के मंत्री और आलाकमान के करीबी भूपेंद्र यादव हैं, जो अपने सियासी करियर का पहला चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ हैं, रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले मुंडावर विधायक ललित यादव।
अलवर सीट का इतिहास रहा है कि यहां यादव उम्मीदवारों ने ही सबसे ज्यादा बार जीत हासिल की है। यहां पार्टी से ज्यादा चेहरों पर वोटिंग होती है। सामाजिक ताना-बाना भी ऐसा है कि यादव कम्युनिटी की एक तरफा वोटिंग सारी दिशा बदल देती है।
फिलहाल इस VIP सीट पर दोनों ही प्रत्याशी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। भूपेंद्र यादव मोदी लहर पर सवार हैं। अहीर रेजिमेंट की मांग पूरी नहीं कर पाने की वजह से यहां चुनौती थोड़ी जरूर है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के सामने पूर्व राज्य सरकार के समय काम नहीं होना, पेपर लीक जैसे मुद्दे चुनौती बने हुए हैं।
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