Home उत्तर प्रदेशबाराबंकी सामूहिक विवाह में 172 जोड़ों ने एक दूसरे को पहनाई वरमाला तो एक हो गए  

सामूहिक विवाह में 172 जोड़ों ने एक दूसरे को पहनाई वरमाला तो एक हो गए  

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भास्कर न्यूज़ एजेंसी(बाराबंकी )

सामूहिक विवाह में 172 जोड़ों ने एक दूसरे को पहनाई वरमाला तो एक का हुआ

ब्यूरो चीफ अनुपम कुमार की रिपोर्ट

बाराबंकी: शहर जीआईसी ऑडिटोरियम सोमवार को 172 जोड़ों के सामूहिक विवाह का गवाह बना। गायत्री परिवार के आचार्यों ने विधि विधान से विवाह संपन्न कराया। तो एक जोड़े का निकाह भी हुआ। सभी जोड़ों ने एक दूजे का हाथ थाम साथ जीने मरने की कसम खाई और दांपत्य जीवन की शुरुवात की। जनप्रतिनिधियों ने सभी जोड़ों को उपहार व आशीर्वाद देकर विदा किया।

जिला समाज कल्याण अधिकारी सुषमा वर्मा के नेतृत्व में आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम शहर के जीआईसी ऑडिटोरियम में हुआ। जहां 173 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। इसमें से 172 हिंदू जोड़ों ने वैदिक मंत्रों के बीच एक दूसरे को वरमाला पहनाकर सात फेरे लिए, तो एक मुस्लिम जोड़े का भी निकाह हुआ। जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत व एमएलसी अंगद सिंह ने वरवधु को आशीर्वाद देकर उपहार वितरित किये। इस मौके पर एमएलसी अंगद सिंह ने कहा कि सामूहिक विवाह योजना द्वारा शादी पर होने वाले अपव्यय पर रोक लगती है, जिससे जरूरतमंद लोग अपनी बहन, बेटी-बेटे की शादी खुशहाली के साथ संपन्न कर सकते हैं। शुभ विवाह जीवन का एक पवित्र गठबंधन है, जिसमें पति-पत्नी एक दूसरे के साथ समर्पित जीवन जीते हुए समाज एवं देश में अपना योगदान देते हैं।

यह सामूहिक विवाह समाज की समरसता एवं समरूपता का प्रतिफल है। सभी जातियों के लोग एक मंडप में सबके साथ समानता का व्यवहार करते व सामाजिक रीति रिवाजों, परंपराओं से दांपत्य सूत्र में बंधते है। हर गांव में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना से कन्याओं की शादी हुई है। उन्होंने नवदंपतियों पर सभी मुख्य अतिथियों ने पुष्प वर्षा की। गायत्री परिवार के उपचार्यों ने सामूहिक विवाह संपन्न कराया। विवाह के बाद बेटियों की विदाई का सिलसिला शुरू हुआ। इस दौरान वरवधु के माता पिता व परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू थे। विवाह में शामिल जितेंद्र कुमार ने बताया कि वह अनुसूचित जाति का है, उसके पास एक बीघा जमीन है। मजदूरी करके जैसे-तैसे घर चलता है। दो और बेटियां हैं, सभी की शादी करना चुनौती थी। सरकार की योजना से बड़ी बेटी की शादी हो गई। दिनेश गौतम ने बताया कि बेटी की शादी के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह धूमधाम से शादी कर पाएं। आज हमारी बेटियों की शादी करने का सपना पूरा हुआ।

यदि वह अपने घर पर बेटी की शादी करते तो इतने लोग शायद ही शामिल हो पाते। जनप्रतिनिधि, अधिकारी और कर्मचारी जनाती-बराती बने थे। रामरती, सुषमा, महेश, जगपता, किरन कुमारी, जगजीवन, रामसनेही आदि लोगों अपनी बेटी की शादी से बेहद खुश दिखे। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि शादी होने के बाद हर एक बेटी को चुनरी, पायल, बिछिया, पांच बर्तन, बैग, बेडशीट, कपड़ों समेत अन्य उपहार दिए गए। कन्या के बैंक खाते में 35 हजार रुपये भेजा जा रहा है। विवाह समारोह में भोजन की व्यवस्था भी की गई थी।

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